Shodashi No Further a Mystery

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सोलह पंखड़ियों के कमल दल पर पद्दासन मुद्रा में बैठी विराजमान षोडशी महात्रिपुर सुन्दरी मातृ स्वरूपा है तथा सभी पापों और दोषों से मुक्त करती हुई अपने भक्तों तथा साधकों को सोलह कलाओं से पूर्ण करती है, उन्हें पूर्ण सेवा प्रदान करती है। उनके हाथ में माला, अंकुश, धनुष और बाण साधकों को जीवन में सफलता और श्रेष्ठता प्रदान करते हैं। दायें हाथ में अंकुश इस बात को दर्शाता है कि जो व्यक्ति अपने कर्मदोषों से परेशान है, उन सभी कर्मों पर वह पूर्ण नियंत्रण प्राप्त कर उन्नति के पथ पर गतिशील हो और उसे जीवन में श्रेष्ठता, भव्यता, आत्मविश्वास प्राप्त हो। इसके आतिरिक्त शिष्य के जीवन में आने वाली प्रत्येक बाधा, शत्रु, बीमारी, गरीबी, अशक्ता सभी को दूर करने का प्रतीक उनके हाथ में धनुष-बाण है। वास्तव में मां देवी त्रिपुर सुन्दरी साधना पूर्णता प्राप्त करने की साधना है।

श्री-चक्रं शरणं व्रजामि सततं सर्वेष्ट-सिद्धि-प्रदम् ॥३॥

काञ्चीवासमनोरम्यां काञ्चीदामविभूषिताम् ।

हर्त्री स्वेनैव धाम्ना पुनरपि विलये कालरूपं दधाना

When Lord Shiva listened to about the demise of his wife, he couldn’t Command his anger, and he beheaded Sati’s father. Even now, when his anger was assuaged, he revived Daksha’s everyday living and bestowed him having a goat’s head.

चतुराज्ञाकोशभूतां नौमि श्रीत्रिपुरामहम् ॥१२॥

कैलाश पर्वत पर नाना रत्नों से शोभित कल्पवृक्ष के नीचे पुष्पों से शोभित, मुनि, गन्धर्व इत्यादि से सेवित, मणियों से मण्डित के मध्य सुखासन Shodashi में बैठे जगदगुरु भगवान शिव जो चन्द्रमा के अर्ध भाग को शेखर के रूप में धारण किये, हाथ में त्रिशूल और डमरू लिये वृषभ वाहन, जटाधारी, कण्ठ में वासुकी नाथ को लपेटे हुए, शरीर में विभूति लगाये हुए देव नीलकण्ठ त्रिलोचन गजचर्म पहने हुए, शुद्ध स्फटिक के समान, हजारों सूर्यों के समान, गिरजा के अर्द्धांग भूषण, संसार के कारण विश्वरूपी शिव को अपने पूर्ण भक्ति भाव से साष्टांग प्रणाम करते हुए उनके पुत्र मयूर वाहन कार्तिकेय ने पूछा —

She will be the possessor of all fantastic and amazing matters, like Actual physical products, for she teaches us to have with no staying possessed. It is alleged that dazzling jewels lie at her feet which fell from your crowns of Brahma and Vishnu after they bow in reverence to her.

Inside the pursuit of spiritual enlightenment, the journey commences Together with the awakening of spiritual consciousness. This initial awakening is crucial for aspirants who're at the onset in their path, guiding them to recognize the divine consciousness that permeates all beings.

Sati was reborn as Parvati for the mountain king Himavat and his spouse. There was a rival of gods named Tarakasura who may very well be slain only from the son Shiva and Parvati.

Goddess Tripura Sundari is likewise depicted as being a maiden putting on outstanding scarlet habiliments, darkish and lengthy hair flows and is completely adorned with jewels and garlands.

The philosophical Proportions of Tripura Sundari lengthen further than her physical attributes. She represents the transformative electrical power of attractiveness, which may guide the devotee in the darkness of ignorance to the light of knowledge and enlightenment.

, variety, wherein she sits atop Shivas lap joined in union. Her features are unrestricted, expressed by her five Shivas.  The throne upon which she sits has as its legs the 5 types of Shiva, the well-known Pancha Brahmas

साम्राज्ञी सा मदीया मदगजगमना दीर्घमायुस्तनोतु ॥४॥

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